शिमला, हिमाचल प्रदेश: कारगिल विजय दिवस पर शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में आयोजित कार्यक्रम ने एक बार फिर से हमारे वीर सपूतों की यादें ताजा कर दी हैं। यहां लगाई गई प्रदर्शनी ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों का दिल जीत लिया। इस प्रदर्शनी में कारगिल युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियारों को भी प्रदर्शित किया गया, जो हमारे जवानों की बहादुरी की गाथा सुनाते हैं।
Special tribute to MARTYRS
कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर गुरुवार को रिज मैदान में सेना ने आधुनिक हथियारों की प्रदर्शनी लगाई। इस प्रदर्शनी में कारगिल युद्ध के शहीदों की तस्वीरें और उनकी वीरता की कहानियां प्रदर्शित की गईं। यहां आए लोगों ने प्रदर्शनी को बेहद सराहा और वीर जवानों की कुर्बानी को नमन किया। सेना के बैंड ने देशभक्ति गीतों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल को और भी भावनात्मक बना दिया।
Governor’s honour
शाम को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला भी इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कारगिल के शहीदों की तस्वीरों को देखकर उनकी शौर्यगाथाओं को सलामी दी। राज्यपाल ने कहा, “हमारे वीर सपूतों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने हमारे देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।”
Story of KARGIL WAR
कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 को शुरू हुआ था और 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सशस्त्र बलों की जीत के साथ समाप्त हुआ। हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में हिमाचल प्रदेश के 57 जवानों ने देश की सरहद की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे, जिनमें शिमला के चार जवान भी शामिल थे।
BRAVERY OF SOLDIERS
सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रैक) ने रिज मैदान पर कारगिल विजय दिवस महोत्सव का आयोजन किया। इस महोत्सव में भारतीय सैनिकों की अदम्य बहादुरी और साहस को दर्शाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम हुए। सेना के पाइप बैंड और सिम्फनी बैंड की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शहीदों को श्रद्धांजलि
26 जुलाई को जिला प्रशासन की ओर से कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवारों को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन परिवारों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को देश की रक्षा के लिए खो दिया।
Salute to the HEROES
कारगिल विजय दिवस हमें उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर हमारे देश की रक्षा की। उनकी शौर्यगाथाओं को याद करते हुए हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदान को कभी न भूलें और आने वाली पीढ़ियों को उनकी कहानियों से प्रेरित करें। यह दिन न केवल हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि हमारे देशभक्ति की भावना को भी मजबूत करने का मौका है।
इस प्रकार, कारगिल विजय दिवस पर आयोजित यह महोत्सव एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है, जहां लोग हमारे वीर सपूतों की शौर्यगाथाओं को याद कर सकते हैं और उनके अदम्य साहस और बलिदान को सलाम कर सकते हैं। इस महोत्सव ने एक बार फिर से हमारे दिलों में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित कर दिया है और हमें याद दिलाया है कि हमारे वीर सपूतों की कुर्बानी कभी भुलाई नहीं जा सकती।